आज का युग कठिन प्रतिस्पर्धा का युग है। पहले के जमाने में हीरो बनने आए गायक बन गए। कई सफल उदाहरण है - जैसे स्वर्गीय मुकेश, स्वर्गीय मोहम्मद रफी, स्वर्गीय किशोर कुमार, के.एल.सहगल, उमादेवी, सुलक्षणा पंडित आदि कई ऐसे कलाकार हैं, जो गायन और अभिनय दोनों में काफी सफल रहे। उनके गाए गीत आज भी यादगार हैं। आज प्रतिस्पर्धा का युग है इसमें वही सफल होता है जिसकी आवाज में दम है। जो वास्तव में सफल होना चाहते हैं, वे जानें कि क्या जिसकी आवाज में दम है। जो वास्तव में सफल होना चाहते हैं, वे जानें कि क्या कहते हैं उनके सितारे। गायन के लिए आवाज सुरीली होना चाहिए और हौंसले बुलंद हों। बगैर रियाज के कोई भी, किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता।अत: सबसे पहले संगीत की जिस विधा में जाना हो उस विधा में अपनी अच्छी पकड़ बनाना चाहिए। तभी जाकर प्रतियोगिता में उतरना चाहिए। गायन के क्षेत्र में सुर के ज्ञान के साथसाथ सितारों का भी भरपूर सहयोग होना चाहिएबचपन से ही अपने ग्रहों की स्थिति देखकर इस क्षेत्र में उतरना चाहिए। ग्रह बलवान हो व भाग्य का साथ हो तो सफलता भी कदम चूमती है। जन्मपत्रिका में लग्न स्वयं को दर्शाता है व द्वितीय भाव वाणी को, तृतीय भाव स्वर को दर्शाता है। नवम भाव भाग्य का होता है वहीं आस्था का भी प्रतीक है। स्वर व आवाज के बगैर गायन में सफलता मिलना संभव नहीं हैअतः द्वितीय भाव के साथ-साथ तृतीय भाव का शुभ होना भी आवश्यक है। नवम भाव का स्वामी शुभ स्थिति में हो व लग्न के साथ-साथ लग्नेश भी शुभ हो। उपरोक्त भावों का लग्न में शुभ होना आवश्यक है, वही नवमांश में भी उनकी स्थिति शुभ होना चाहिए। तभी जाकर उत्तम सफलता मिलती हैआप जिस गाने को गा रहे हैं उसे कई-कई बार सुने व खूब अच्छी तरह समझे । इस समझ के लिए आपकी पत्रिका में गुरु का शुभ होना आवश्यक है। गुरु सूझबूझ व समझ का कारक है।
इसके शुक्र कला का कारक है इसका भी शुभ स्थिति में होना अनिवार्य है। चन्द्रमा के बगैर गायन की स्थिति का अन्दाजा नहीं लगा सकते अत-चन्द्र का शुभ स्थिति में होना अति आवश्यक है। लग्न खुद के व्यक्तित्व को दर्शाता है। वृषभ लग्न शुक्र प्रधान होता है। गायन के क्षेत्र में इसी का योगदान होता है। इस लग्न में शुक्र तृतीय भाव में हो व द्वितीय भाव में शुभ ग्रह होने के साथ-साथ तृतीयेश शुभ होकर चतुर्थ स्थान में हो तो ऐसा जातक सफल गायक बनता है। धनवान होता है और जनता के बीच प्रसिद्ध होता है । .
कन्या लग्न में बुध स्वराशि का हो या लग्न में हो द्वितीय भाव का स्वामी शुक्र नवम में हो या द्वितीय भाव में स्वराशि का हो व मंगल तृतीय में हो या तृतीयेश को देखता हो तो ऐसा जातक संगीत में अच्छी सफलता पाता हैं। कर्क लग्न में चंद्र या उच्च का हो व सूर्य बुध की युति तृतीय या द्वितीय में हो तो गायन में अच्छी सफलता पाता है। तुला लग्न में शुक्र लग्न में ही हो तो ऐसा जातक शास्त्रीय गायन में सफल होता है। इस लग्न में गुरु मंगल शुक्र के स्थान में हो तो ऐसा जातक आधुनिक गायन के क्षेत्र में अच्छी सफलता पाता है। मीन लग्न में गुरु शुभ स्थिति में, द्वितीय भाव में मंगल या द्वितीय भाव में शुभ ग्रह हो तृतीयेश शुक्र शुभ स्थान में हो तो सुगम संगीत में अच्छी सफलता दिलाता है। कोई भी ग्रह लग्न, द्वितीय, तृतीय व नवम भाव में न तो नीच का हो, ना ही इन भावों के स्वामी नीच के हो, ना ही इन पर नीच दृष्टि हो। तब ही जाकर संगीत में उत्तम सफलता पाई जा सकती है ।